भारत-अमेरिका ट्रेड विवाद: स्टील और एल्यूमिनियम पर बढ़ते शुल्कों से बिगड़े रिश्ते

Date: 2 जून 2025
writer:aman saxena

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर सामने आया है, जिसकी जड़ें स्टील और एल्यूमिनियम पर लगाए गए अमेरिकी आयात शुल्कों में छिपी हैं। अमेरिका द्वारा इन धातुओं पर शुल्क को दोगुना करने के निर्णय के बाद भारत अब संभावित प्रतिशोध की तैयारी में है।

अमेरिका ने WTO में भारत की आपत्ति खारिज की

भारत ने 9 मई को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) को औपचारिक सूचना दी थी, जिसमें कहा गया था कि वह अमेरिका द्वारा स्टील और एल्यूमिनियम पर लगाए गए 25% आयात शुल्क के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर सकता है। भारत ने WTO को बताया कि वह अमेरिका को दी गई कुछ व्यापारिक रियायतों को 30 दिनों के भीतर निलंबित कर सकता है।

हालांकि, अमेरिका ने भारत के इस नोटिस को यह कहकर खारिज कर दिया कि उसके द्वारा लगाए गए शुल्क “सुरक्षात्मक उपाय” (safeguard measures) नहीं हैं, बल्कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लगाए गए हैं। इसके चलते अमेरिका ने WTO के तहत इस मुद्दे पर भारत से कोई बातचीत करने से साफ इनकार कर दिया।

शुल्क 25% से बढ़ाकर 50% किए गए

स्थिति तब और गंभीर हो गई जब अमेरिकी प्रशासन ने 30 मई को इन शुल्कों को दोगुना कर 50% कर दिया। यह निर्णय 4 जून से प्रभाव में आएगा। इस फैसले का सीधा असर भारत से अमेरिका को होने वाले धातु निर्यात पर पड़ेगा, जिसकी कुल कीमत वित्त वर्ष 2024-25 में $4.56 बिलियन रही है।

भारत की संभावित रणनीति

सूत्रों के अनुसार, भारत अमेरिका से आने वाले कुछ उत्पादों जैसे बादाम, अखरोट और धातु उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। भारत का यह कदम व्यापार संतुलन बहाल करने और घरेलू उद्योगों को सुरक्षा देने के उद्देश्य से हो सकता है।

भारत के मई 9 के नोटिस में बताया गया कि अमेरिका के इस कदम से भारतीय निर्यात को करीब $1.91 बिलियन का आर्थिक नुकसान होगा, और भारत उसी अनुपात में शुल्क लगाकर जवाब दे सकता है।

वाणिज्य मंत्रालय की चुप्पी, लेकिन वार्ता जारी

हालांकि भारत के वाणिज्य मंत्रालय की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement – BTA) को लेकर बातचीत चल रही है। इस महीने एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत दौरे पर आ सकता है, जिससे “early harvest deal” को अंतिम रूप देने की उम्मीद की जा रही है।

विशेषज्ञों की राय

वाणिज्य मामलों के जानकारों का मानना है कि अमेरिका द्वारा बढ़ाया गया शुल्क भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। Global Trade Research Initiative (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के अनुसार, भारत से अमेरिका को $587.5 मिलियन का लोहे और स्टील, $3.1 बिलियन के लोहे से बने उत्पाद, और $860 मिलियन के एल्यूमिनियम उत्पादों का निर्यात होता है। ये सभी अब उच्च अमेरिकी शुल्क के दायरे में आ गए हैं।

पुराने विवादों की छाया

यह विवाद नया नहीं है। 2018 में भी अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर इसी तरह के शुल्क लगाए थे, जिसके जवाब में भारत ने 2019 में 28 अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिए थे। हालांकि, 2023 में दोनों देशों ने इसे Mutually Agreed Solution (MAS) के तहत हल किया था।

MAS एक WTO प्रक्रिया है जिसमें सदस्य देश आपसी सहमति से विवादों का समाधान करते हैं, जिससे लंबी कानूनी प्रक्रिया से बचा जा सके।

निष्कर्

भारत और अमेरिका के बीच यह व्यापारिक विवाद न सिर्फ दो देशों की आर्थिक रणनीतियों का परीक्षण है, बल्कि यह WTO जैसे बहुपक्षीय मंचों की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाता है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि भारत जवाबी शुल्क लगाता है या कूटनीतिक तरीके से समाधान निकालने की राह अपनाता है।

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