भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) में भारत द्वारा दिए गए नोटिस को अमेरिका ने खारिज कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच टकराव की आशंका और गहरा गई है।
विवाद की जड़: स्टील और एल्यूमिनियम पर आयात शुल्क
अमेरिका ने 10 फरवरी को सभी देशों से आयात होने वाले स्टील और एल्यूमिनियम पर 25% शुल्क लागू करने का निर्णय लिया था, जो 12 मार्च से प्रभावी हुआ। इसके जवाब में भारत ने 9 मई को WTO को एक औपचारिक सूचना दी कि वह अमेरिका से आयात होने वाले कुछ उत्पादों पर रियायतें समाप्त कर सकता है और प्रतिशोधात्मक शुल्क लागू कर सकता है।

हालांकि, अमेरिका ने इस पर साफ कह दिया कि उसकी ओर से लगाए गए शुल्क “सुरक्षात्मक उपाय” (safeguard measures) नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत उठाया गया कदम है। इसी आधार पर अमेरिका ने भारत के साथ इस पर किसी भी चर्चा से इनकार कर दिया है।
अमेरिका ने शुल्क को और दोगुना किया
इस विवाद को और हवा तब मिली जब ट्रंप प्रशासन ने 30 मई को स्टील और एल्यूमिनियम पर लगाए गए शुल्क को बढ़ाकर 50% कर दिया, जो 4 जून से लागू होंगे। भारत के लिए यह बड़ा झटका है क्योंकि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को करीब 4.56 बिलियन डॉलर का लोहे, स्टील और एल्यूमिनियम का निर्यात किया था।
भारत की संभावित प्रतिक्रिया
सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत अमेरिका से आने वाले उत्पादों जैसे कि बादाम, अखरोट आदि पर आयात शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रहा है। भारत के नोटिस में यह भी कहा गया है कि अमेरिका के कदम से भारत से अमेरिका को होने वाले 7.6 अरब डॉलर के निर्यात पर 1.91 अरब डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगेगा, और भारत भी इसी अनुपात में शुल्क वसूल सकता है।
पिछली टकराव की याद
यह पहला मौका नहीं है जब दोनों देशों के बीच इस तरह का व्यापार विवाद हुआ हो। 2018 में अमेरिका ने भी ऐसे ही सुरक्षा कारणों से शुल्क लगाया था, जिसके जवाब में भारत ने 2019 में 28 अमेरिकी उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी थी। हालांकि, 2023 में दोनों देशों ने आपसी सहमति से उस विवाद का समाधान निकाल लिया था।
आगे की राह
हालात अभी भी स्पष्ट नहीं हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक WTO का अपीलीय निकाय प्रभावी ढंग से काम नहीं करता, तब तक ऐसे विवादों का स्थायी समाधान मुश्किल है। हालांकि, भारत और अमेरिका के बीच चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएं (Bilateral Trade Agreement) इस मसले को शांतिपूर्वक सुलझा सकती हैं।
निष्कर्ष
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता हुआ यह व्यापारिक तनाव वैश्विक स्तर पर व्यापार नियमों और कूटनीति की जटिलताओं को उजागर करता है। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत retaliatory tariffs लगाता है या फिर बातचीत के जरिए समाधान की ओर बढ़ता है।